Welcome to Kayastha Samaj.

About SKYPS Sanstha

दुर्घटना व विपदाकाल प्राकृतिक आपदा में पीडितों की सहायता करना।
अनाथालयों में सेवाकार्य व आर्थिक मदद करना, बेसहारा बच्चों व वृद्धों की हर संभव मदद करना, वृद्ध आश्रमों में त्यौहारों पर गतिविधियाँ आयोजित करना।
नशा प्रवृत्ति में लिप्त युवाओं, अनाथालयों एवं वृद्ध आश्रमों में आश्रित व्यक्तियों की सेवा हेतु स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन व आवश्यक सामग्री का वितरण।
वस्त्रदान, अन्नदान, पुस्तक दान व सभी दैनिक उपयोगी वस्तुओं का दान, परिवार के मांगलिक कार्यक्रमों के उपरांत शेष बचे पदार्थो वस्तुओं, सामग्रियों, भोजन व अन्य उपयोगी वस्तुओं को दान करने के लिए विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराना। दान में आयी वस्तुओं के संरक्षण व वितरण की व्यवस्था करना।
समय-समय पर आवश्यकतानुसार गतिविधियाँ संचालित करना जैसे गर्मियों में प्याऊ निर्माण, बेजुबान पशु पक्षी के लिए अन्न जल, दान द्वारा राहत कार्य करना, वृक्षारोपण, किताब घर अभियान, जल बचाओ अभियान, नशामुक्ति शिविर, झुग्गी बस्तियों में जन जागरण शिक्षा अभियान, स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओं अभियान, भ्रूण हत्या एवं समाजिक कुरीतियों का रोकने के सफल प्रयास और संक्रमक फैलाने वाली बीमारियों के प्रति बचाव के उपाय करना।
समाज के महापुरूषों की जयंती पर चिकित्सालयों, बेसहारा लोगों को खाद्य पदार्थ, भोजन, फल आदि का वितरण करना।

  हमारा उद्देश्य
संसार की समस्त कायस्थ सभाओं को संगठित करना और उन सबका समन्वय करना।
इष्टदेव भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज की सृष्टि में उत्पत्ति कथा, धार्मिक, संस्कृति, कायस्थ इतिहास व कायस्थ समाज संबंधित ज्ञानवर्धक पुस्तकों का एक विशाल पुस्तकालय स्थापित करना।
चित्रांश वंशावली और कायस्थ इतिहास तथा उनके सभी पहलुओं को पुष्ट करने के निमित्त अनुसंधान केन्द्र की व्यवस्था कर इस कार्य को आगे बढ़ाना एवं अनुसंधान करने वाले विद्वानों व संस्थाओं को सहयोग देना या पुरस्कृत करना एवं उनके द्वारा लिखित ग्रंथों को प्रकाशित करना और कराना।
कायस्थ समाज का प्रचारक साहित्य तैयार करना और समाज की धार्मिक पूजन विधि आदि से सम्बंधित पुस्तक समस्त चित्रांश बंधुओं के ज्ञानार्थ वितरण करना। कायस्थ समाज के धार्मिक स्थल, मंदिर, मठ आदि को गोद लेना, आवश्यकता होने पर यथा संभव समस्त हितकारी निर्णय लेना।
समाज के अनाथ, दीन, विधवा, विकलांग आदि निराश्रित कायस्थ जनों की सहायता, रक्षा व सुधार हेतु उपयुक्त प्रबंध करना और कराना।
कायस्थ समाज के साहित्य, विज्ञान एवं कला कौशल प्रतिभा अनुसार कौशल कार्यशाला तथा तत्संबंधित उपसभा व प्रकोष्ठ स्थापित करना तथा उपर्युक्त उद्देश्य की पूर्ति करने वाली संस्थाओं को अपने से सम्बद्ध करना।
कायस्थ सभाओं तथा उनसे सम्बद्ध मंदिरो संस्थानों की वर्तमान दशा में सुधार एवं उनकी उन्नति, उनकी चल अचल सम्पत्ति की रक्षा, उनके आपसी वाद-विवाद, उनकी समस्याओं एवं उनके निरीक्षण का प्रबंध करना और कराना।
उपर्युक्त उद्देश्य तथा अन्य उद्देश्यों के अनुकूल किसी ट्रस्ट और संस्थाओं को स्वीकार करना और उनका समुचित प्रबंध करके समस्त उद्देश्यों को पूरा करना।
सब कायस्थ सभाओं और उसके सदस्यों को उचित है कि शौक और दुख दर्द के समय में परस्पर सहायता करे और प्रत्येक आनंद उत्सव में आमंत्रण पर अवश्य सम्मिलित हो, छोटा बड़ा न गिने और अपने आनंद समय पर कायस्थ समाज पर भी कृपा दृष्टि करें और तन मन धन से उदारतापूर्वक सहायता किया करें।
कोई कायस्थ बंधु किसी हेतु से अनाथ या किसी की स्त्री विधवा अथवा संतान अनाथ हो जाये, अर्थात उनका जीवन यापन न हो सकता हो और यदि कायस्थ सभा उनको निश्चित जान ले, तो उनकी रक्षा में यथाशक्ति यथोचित प्रबंध करना और कराना।