About SKYPS Sanstha
कायस्थ समाज को संगठित करने के लिये सर्वप्रथम हमें एक कायस्थ सभा का गठन करना होगा और उस सभा के सदस्यों की प्रतिमास बैठक का आयोजन करना अति महत्वपूर्ण होगा।
कायस्थ सभा को संचालित करने के लिये प्रारम्भ मे कई तरह के प्रयास करने पडेंगे। कुछ प्रयास कम समय के ही होंगे तो कुछ लम्बे समय तक करने प¤डेंगे। कायस्थ सभा में केवल कायस्थ सभा के सदस्यों के साथ काम करने से बात नहीं बनेगी। कायस्थ सभा के बाहर के चित्रांष बंधुओं के साथ मिलकर भी काम करना प¤डेगा। कायस्थ सभा की बैठकों के बारे में सोचते वक्त विचारे कि किन-किन लोगों का कायस्थ सभा पर अच्छा प्रभाव प¤ड रहा है। या पड़ सकता है। उन्हें प्राथमिकता दे।
कायस्थ सभाओं की बैठकों को ठीक ढंग से चलाने के लिए कार्यकारणी के सदस्यों को अपना कार्य पूरा करने में आने वाली बाधाओं और उसका निराकरण करें।
कायस्थ समाज की बैठक के पूर्व प्रत्येक चित्रांष बंधु को पता होना चाहिए कि बैठक में किन-किन मुद्दों पर बात होना है। जिससे वह जिन मुद्दों पर बात होनी है उसके बारे में पहले से सोच-विचार कर आयें और चर्चा में अपने-अपने सुझाव दें।
कायस्थ सभा छोटी-छोटी सभाएँ करके अपने समाज की जरूरतों को पहचानें उसके निदान के उपाय खोजंे और तय करे कि अपनी तरफ से अपने समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारा क्या सहयोग होगा।
कायस्थ सभा की बैठक आयोजित करने के पूर्व स्थानीय चित्रांष बंधु के साथ चर्चा कर लें और उन की जरूरतों, भावनाओं एवं विचारो को समझे उसके बाद बैठक में तय मुद्दों हेतु ऐसे प्रतिनिधि और प्रभारी तैयार करें जो अपने प्रभाव से उक्त कार्य को सफल बना सके।
कायस्थ सभा को सक्रिय करने के लिए पहले ज्यादा से ज्यादा चित्रांष बंधुओं से व्यक्तिगत रूप से मिलना अति आवष्यक होगा। जिससे सामाजिक विचारधारा को जानकर कार्य को योजनानुसार सफल बनाया जा सके।
कायस्थ समाज में कहीं कहीं चित्रांष बंधु समाज के केवल कुछ प्रमुख लोगों के माध्यम से ही समाज का काम करते है। जिससे सर्वसाधारण के विचारों का आदान - प्रदान नहीं हो पाता। इस हेतु क्रियाषील सदस्य जन साधारण से सम्पर्क कर कार्य करें।
कायस्थ सभा शुरूआती दौर में कुछ ऐसे समाजिक मुद्दों की पहचान करें जो सबकी जरूरत के हों (जैसे स्वस्थ्य, षिक्षा, रोजगार व परिवारिक संबंध आदि) जिससे अधिक से अधिक चित्रांष बंधु प्रभावित हो और जिससे समाज को ज्यादा सहयोग मिलने की अधिक सम्भावना हो। एक कार्य की सफलता के बाद दूसरे कार्य का रास्ता आसान हो जाता है। अतः कार्य पूरा हो जाने के बाद चित्रांष बंधुओं को समाज की संगठन शक्तियों का अहसास हो।
वर्तमान में चित्रांष बंधुओं की मानसिकता कायस्थ समाज की गतिविधियों या आयोजनों में भाग लेने की नहीं रही है। इसलिए अपने कार्यक्रमों को उनके विचारों को दृष्टिगत करें जिससे जन साधारण की रुचि बनी रहें और वह समाज की गतिविधियों के प्रति उत्सुक हो सजग रहें।
कायस्थ सभाओं को अपनी गतिविधियाँ सुलभ, सरल और सुचारु रुप से संचालित करने हेतु समाज के अन्य पूर्व संगठनों जैसे महिला मण्डल, युवा मण्डल व वरिष्ठ कायस्थ मण्डल आदि के सक्रीय सदस्यों से चर्चा कर उनकी सक्रीय भागीदारी की मदद भी लेनी हित कर होगी। हमें चित्रांष बंधुओं को अपने समाज की गतिविधियों एवं आयोजनों में भागीदार बन समाज हित के कर्मठ सदस्य होने का महत्व समझाना होगा।
इस प्रकार कायस्थ सभा में समाज प्रेमी परिवारों का प्रत्येक व्यक्ति संगठित हो, समाज में संगठित परिवर्तन से एक नई पहल कर, नई व्यवस्था द्वारा नई जाग्रति लाने में अग्रसर होगा।
अस्तु सभी चित्रांष बंधु योजना अनुसार पूर्व लिखित विचारधारा और उसकी रणनीति के अनुसार गतिविधी को फलीभूत करने हेतु देष से ग्राम और ग्राम से प्रत्येक मोहल्लों में कायस्थ सभा का गठन कर कायस्थ समाज को सर्वोच्य समाज सिद्ध करने का सद् प्रयास प्रारम्भ करें।
अस्तु जागो, सोचो, समझो और ब¤ढो समाज को नई दिषा देने की ओर........
जय चित्रगुप्त - जय चित्रांष
