About SKYPS Sanstha
हम सब धर्मराज श्री चित्रगुप्त के वंशज और जो मनुष्य न्याय, विद्या से जाने जाते हैं, उन सबके पूज्यनीय धर्मराज श्री चित्रगुप्त भगवान है। सबको श्री चित्रगुप्त भगवान जी की उपासना करनी चहिये।
भगवान श्री चित्रगुप्त सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, धर्मराज और न्यायकर्ता है।
हम सब धर्मराज श्री चित्रगुप्त के वंशज है इसलिए हमें सब कार्य धर्मानुसार अर्थात सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए।
प्रत्येक कायस्थ को भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के चरणकमलों का ध्यान कर ‘‘यमाय धर्मराजाय चित्रगुप्ताय वै नमः’’ का उच्चारण करना चाहिए।
प्रत्येक कायस्थ को अपनी ही उन्नति से संतुष्ट न रहना चाहिए किन्तु स्वजाति बंधू की उन्नति में ही अपनी उन्नति समझनी चाहिए।
प्रत्येक कायस्थ को सामाजिक उन्नति के सर्वहितकारी सेवा कार्य करने में अग्रणी रहना चाहिए।
प्रत्येक कायस्थ सामाजिक उन्नति और सर्वहितकारी कार्य में सर्वदा स्वतन्त्र रहें।
प्रत्येक कायस्थ को सामाजिक गुणों का बोध करवा कर उनके तन मन चिंतन में सामाजिक चरित्र का निर्माण करना चाहिए।
मैं चित्रगुप्त का वंशज हुँ, कायस्थ मेरी जाति हैं, समाज के प्रति मेरा दायित्व हैं, समाज उत्थान मेरा धर्म हैं, इन्हीं विचारों के साथ समाज को उन्नत करने की दिशा में निरन्तर प्रयत्नशील रहना चाहिए।
कायस्थ समाज का मान अपमान, मेरा निज का मान अपमान है इस भाव से समाज हित में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।
कायस्थ समाज को एक समृद्ध एवं सजग समाज बनाने और एकता के सूत्र में बांधने के लिए सतत् प्रयत्नशील रहना चाहिए।
सबसे प्रीतिपूर्वक जय श्री चित्रगुप्ताय नमः या जय चित्रांश कह कर अभिवादन करना चाहिए।
सर्वहितकारी सेवा कार्य करने और दान करने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।
अज्ञानता का नाश और ज्ञान की वृद्धि करना प्रत्येक कायस्थ का परम धर्म है।
विश्व का कल्याण करना कायस्थ समाज का मुख्य उद्देश्य है।