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सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की शाखा निर्माण हेतु नियमावली

1. संस्था का नाम : संस्था का नाम सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था होगा। और न्यून से न्यून 8 सदस्य होने पर सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की शाखा का निर्माण (गठन) हो सकेगा। परन्तु पूर्व से पंजीकृत समिति व कायस्थ समाज के लिए कार्यरत संस्थाओं पर यह लागू नहीं होगा। किसी विशेष कारण से स्थानीय कायस्थ समाज की संस्था के नाम में परिवर्तन किया जा सकेगा।

2. कार्य क्षेत्र : सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की शाखा का गठन किया गया है या गठित कार्यकारणी सभा निर्धारित करें।

3. सदस्य : सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में सदस्य तीन प्रकार के होंगे- एक सक्रिय सदस्य, दूसरे प्रतिष्ठित सदस्य और तीसरे प्रतिनिधि सदस्य।

4. सक्रीय सदस्य : जो चित्रांश बंधु सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के सदस्य बनना चाहेंगे और इसके उद्देश्यानुकूल आचरण करेंगे वे सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में सदस्यता -पत्र (प्रारूप क्रमाँक -1 ) भरकर सदस्य बन सकते हैं, परंतु उनकी आयु 18 वर्ष से न्यून न हो।

(1) जो चित्रांश बंधु सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में प्रवेश लेंगे और वे निर्धारित मासिक या वार्षिक चंदा देगें वे सक्रिय सदस्य कहलाएंगे। और सम्मति देने का अधिकार केवल उन्हें ही होगा। परन्तु उचित हो कि कोई चित्रांश बंधु एक समय में एक ही संस्था/संगठन का सक्रिय सदस्य बने।

(2) बड़े उधोगपतियों, व्यवसायीयों, प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों एवं राजनेताओं आदि को संस्था के सक्रिय सदस्य बनने के लिए निर्धारित चंदे के अतिरिक्त अपने उत्साह या सामर्थानुसार दान स्वरुप वार्षिक सहयोग राशि उपलब्ध करानी होगी।

5. प्रतिष्ठित सदस्य : सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था किसी विशेष हेतु से चंदा न देने वाले कायस्थ बंधु को भी प्रतिष्ठित सदस्य बना सकती है। परन्तु ऐसे सदस्यों की संख्या 5 से अधिक न हो। नीचे लिखी हुई विशेष दशाओं में प्रतिष्ठित सदस्य की भी सम्मति ली जा सकती है।
(1) जब नियमों में न्यूनाधिक संशोधन करना आवशयक हो।
(2) जबकि विशेष अवस्था में जब सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था उनकी सम्मति लेने योग्य समझे।
(3) जबकि सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था द्वारा कोई कार्यक्रम आयोजित करना हो।

6. प्रतिनिधि सदस्य : जो सक्रिय सदस्य सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में सदाचार से एक वर्ष रहे हो वे साधारण सभा में प्रतिनिधि सदस्य निर्वाचित हो सकते है। प्रतिनिधि सदस्य बनने के लिए सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में वर्षभर नाम रहने का नियम किसी सदस्य के लिए सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की कार्यकारणी शिथिल भी कर सकती है।
(1) सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था न्यूनतम 8 सक्रीय सदस्य होने पर एक प्रतिनिधि सदस्य निर्वाचित कर सकेगी। सक्रीय सदस्यों की संख्या 20 अथवा उस से अधिक होने पर अर्थात प्रत्येक 12 सक्रीय सदस्यों की वृद्धि पर वह एक अतिरिक्त प्रतिनिधि सदस्य निर्वाचित कर सकेगी।
(2) सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की शाखा, प्रकल्प के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा अपने प्रांत की मुख्य कार्यकारणी सभा के पदाधिकारियों का निर्वाचन किया जाता है। सभी सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की शाखा, प्रकल्प की व्यवस्था उसी के नियमों, उपनियमों के अधीन व अनुकूल होगी।
(3) प्रतिनिधि सदस्य सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के अधिवेशनों में अपनी शाखा, प्रकल्प का प्रतिनिधित्व करेंगा और सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था प्रतिनिधि सदस्यों में ही अपनी मुख्य कार्यकारणी सभा का निर्माण (गठन) करेगी।
(4) सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था द्वारा निर्धारित प्रतिनिधि शुल्क जमा किये बिना कोई भी प्रतिनिधि सदस्य सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में सम्मिलित नहीं हो सकेगा।

7. संरक्षक : सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के संरक्षक वे होंगे जो मासिक 1000/- रुपये या वार्षिक 11000/- रुपये या इससे अधिक देगें या जिनको सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था योग्यता आदि श्रेष्ठ गुणों से विशिष्ट समझे।

8. सदस्यता चंदा : सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था सदस्यता हेतु मासिक या वार्षिक चंदा अपनी सुविधानुसार निर्धारित कर सकती है।

9. बैठकें : सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की सभाएँ (बैठकें) दो प्रकार की होगी। एक कार्यकारणी सभा, दूसरी साधारण सभा।

10. कार्यकारणी सभा : सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के सब कार्यप्रबंध के लिए एक कार्यकारणी सभा नियत की जायेगी और इसमें तीन प्रकार के सभा सदस्य होगें एक अधिकारी, दूसरे प्रतिष्ठित और तीसरे प्रतिनिधि। कार्यकारणी सभा प्रतिमास एक बार अवश्य होगी, उसमें मासिक गतिविधियों, आगामी कार्यां पर विचार, सभा के कार्यां का विवरण दिया जायेगा और समाज संबंधी कोई मुख्य जानकारी जो सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के जानने योग्य हो वह भी इस सभा में बताई जायेगी।

11. साधारण सभा : साधारण सभा प्रतिवर्ष में एक बार अवश्य होगी, जिसमें सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के समस्त सदस्य भाग लेगें। इस सभा में वार्षिक प्रतिवेदन मासिक सभा के कार्यां का विवरण, संचालित गतिविधियों व कार्यां पर विचार, प्रत्येक प्रकार का आय-व्यय समझना और समझाना और सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के सदस्यों की क्रियाओं का वर्णन किया जायेगा और जो कोई समाज संबन्धित मुख्य जानकारी जो सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के जानने योग्य हो वह भी इस सभा में बताई जायेगी। या जब कभी मंत्री, प्रधान और कार्यकारणी सभा आवश्यक समझे उस समय साधारण सभा होगी और उसमें विशेष कार्यो के प्रबंध होगें।

12. निर्वाचन : सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के निर्वाचन साधारण सभा में नियमानुसार प्रति तीन वर्ष की अवधि में होंगे। निर्धारित अवधि में निर्वाचन न हो सके तो अधिक से अधिक छः मास तक पुराने अधिकारी कार्य करते रहेंगे। यदि इस अवधि में भी निर्वाचन न हो सके तो सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के अधिष्ठाता को अधिकार होगा की वह दो माह के अन्दर निर्वाचन करा दे या उचित प्रबंध कर दे या तदर्थ समिति का गठन कर दे।

13. प्रकोष्ठ का गठन : कार्यकारणी सभा किसी विशेष कार्य को करने और सोचने के लिए अपने ही सदस्यों और विशेष गुण रखने वाले प्रतिष्ठित सदस्य को मिलाकर उपसभा-प्रकोष्ठ का गठन कर सकती है।

14. जो सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के नियमावली और उद्देश्य के विरुद्ध कर्म करेगा वह सक्रिय सदस्य में नही गिना जायेगा।

निर्वाचित पदाधिकारी एवं कर्तव्य
अध्यक्ष: एक
मंत्री: एक
उपाध्यक्ष: सुचारू रूप से कार्य सम्पादन करने की दृष्टि से अथवा आवश्यकता होने पर एक से अधिक उपाध्यक्ष एवं उपमंत्री
एवं नियुक्त किये जा सकते है। जिनमें से एक-वरिष्ठ उपाध्यक्ष,एक-वरिष्ठ उपमंत्री निर्वाचित किये जायेगें। उपमंत्री :
एक से अधिक अधिकारी नियत हों तब सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभा द्वारा उनके कार्य निर्धारित कर दिये जावेंगे। और उनकी कार्यकारणी सभा विषेष अधिकार पर उन्हें कार्य बांट देगी।
कोषाध्यक्ष : एक
नोटः आवश्यकता प्रतीत होने पर सभी सभाएँ एक वैतनिक कार्यालय मंत्री नियत कर सकेगी जिसके लिए इस सभा से सम्बद्ध किसी सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था का प्रतिनिधि होना आवश्यक न होगा। किन्तु उसको सम्बद्ध किसी सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था का सक्रीय सदस्य होना पर्याप्त होगा।

1. अध्यक्ष के कर्तव्यः
(1) वह सभा तथा उसी कार्यकारणी सभा के प्रत्येक अधिवेशन का सभापतित्व करेगा।
(2) वह स्वयं सभा के सब कार्यों को निम्नानुसार करेगा और देखेगा कि अन्य समस्त अधिकारीगण एवं कार्यकर्ता अपने कर्तव्यों का पालन यथावत करते है।
(3) वह सभा के हितों का संरक्षण एवं उनकी अभिवृद्धि करेगा।
(4) अध्यक्ष को अधिकार होगा कि सभा सम्बन्धी कार्यों हेतु समस्त अभिलेखों को जिनका लिखा जाना विधि नियमानुसार आवश्यक हो लिखें अथवा अपने किसी सहकारी को उन्हें लिखने हेतु अधिकृत करें।

2. उपाध्यक्ष के कर्तव्यः
अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष में से एक वरिष्ठता के अनुसार कार्यकारणी सभा एवं अधिवेशन का सभापतित्व करेगा और अपने-अपने प्रभार के क्षैत्र में प्रत्येक उपाध्यक्ष सामान्य रूप से सभा अध्यक्ष, प्रभारी व संयोजक के कर्तव्यों का निर्वाह करेगा।
प्रभारीयों एवं संयोजकों के कर्तव्यः-
(1) अपने क्षेत्र की सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की उन्नति के लिए हर सम्भव उपाय करना। जहां कायस्थ समाज की शाखाएं सक्रिय हों, वहां पहुंच कर उन्हें सहयोग प्रदान कर प्रोत्साहित करना।
(2) अपने क्षेत्र में सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की नविन शाखा, प्रकल्प की स्थापना तथा शिथिल कायस्थ संस्थाओं की सक्रियता के लिए प्रयत्नशील रहना।
(3) सभी सभाओं का चंदा, दान, प्रचार निधि आदि राशियों को अपने क्षेत्र की सभाओं से समय पर भिजवायेंगें।
(5) समाजों की चल-अचल सम्पत्ति की सुरक्षा के दायित्व को सतर्कतापूर्वक वहन करेंगे।
(6) समाजों में कोई सिद्धांत विरोधी क्रियाकलाप न होने पाये। इसका विशेष ध्यान रखेंगे।
(7) समाज के सदस्यों के पारस्परिक विवादों को मिटायेंगे तथा प्रचार व्यवस्था करेंगे।
(8) समाजों का निरीक्षण विवरण व अपने कार्य की प्रगति की रिपोर्ट समय पर सभा की कार्यकारणी सभा में प्रस्तुत करेंगे।


सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधियों का निर्वाचन

1. प्रतिनिधि सभा : प्रदेश में सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की मुख्य सभा के प्रतिनिधि का चयन सक्रीय संगठन अथवा सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की शाखा प्रकल्प के सदस्यों द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों द्वारा किया जायेगा और सभी सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्थाओं की व्यवस्था उसी के नियमों, उपनियमों के अधीन व अनुकूल होगी।

2. सभा कार्य क्षेत्र : उक्त प्रदेश के अन्तर्गत आने वाले समस्त जिलों में स्थित सभी स्थानीय कायस्थ समाज की संस्थाएँ इस सभा में सहमति लेकर इससे सम्बद्ध होंगी। ऊपर निर्दिष्ट क्षेत्र से बाहर स्थित सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था, पूर्व से पंजीकृत समिति एवं कायस्थ समाज के लिए कार्यरत संस्थाएँ भी इस सभा से सम्बद्ध हो सकेगी। यदि उस क्षेत्र में पूर्व से कोई अन्य प्रांत की मुख्य सभा विद्यमान न हो अथवा उस प्रांत की मुख्य सभा को इसमें कोई आपत्ति न हो।

3. प्रतिनिधि : सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था उन प्रतिनिधियों को स्वीकार करेगी जो इस सभा से सम्बद्ध होंगे। और जिस प्रतिनिधि गण का निर्वाचन स्थानीय सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था ने अपनी साधारण सभा द्वारा सक्रीय सदस्यों में से बहुमत के आधार पर किया हो और निर्धारित प्रतिनिधि शुल्क प्रतिनिधि सभा के कोष में जमा किया गया हो।
(1) प्रत्येक सम्बद्ध शाखा प्रकल्प में न्यूनतम् 8 सक्रीय सदस्य होना अनिवार्य है। ऐसी शाखा प्रकल्प सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में अपना एक प्रतिनिधि भेज सकेगी। सक्रीय सदस्यों की संख्या 20 अथवा उस से अधिक होने पर अर्थात प्रत्येक 12 सक्रीय सदस्यों की वृद्धि पर वह एक अतिरिक्त प्रतिनिधि सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में भेज सकेगी।
(2) प्रतिनिधि सभा के पूर्व सत्र के अध्यक्ष, मंत्री एवं कोषाध्यक्ष अपने पद के आधार पर इस सभा के सदस्य माने जावेंगे। परन्तु आगामी निर्वाचन हेतु सभा पदाधिकारियों के निर्वाचन में वे उसी दशा में भाग ले सकेंगे। जब वे इस सभा से सम्बद्ध किसी सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था द्वारा प्रतिनिधि निर्वाचित हुए हों।
(3) प्रत्येक स्थानीय संगठन एवं पूर्व पंजीकृत संस्थाएँ जिसको स्थापित हुए कम से कम एक वर्ष व्यतीत हो चुका हो। वह सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में से सम्बद्ध होने के लिये एक प्रार्थना पत्र (निर्धारित प्रारुप क्रमाँक-2) को भर कर सभा कार्यालय को भेजेगी और सभा नियमों एवं आज्ञाओं का पालन करते रहने हेतु प्रतिज्ञाबद्ध होगी।

टिप्पणीः-किन्तु कायस्थ समाज के लिए सक्रिय ऐसी संस्था जिसका कार्य विधिवत नियम, उप नियमों के अंतर्गत संचालित होने लगे, उसे संभाग के उपाध्यक्ष या प्रभारी को निरीक्षण रिपोर्ट एवं अनुशंसा के आधार पर व वर्षान्तर्गत भी सम्बद्धीकरण किया जा सकेगा।

4. प्रतिनिधि सभा का कार्य उसकी कार्यकारणी सभा द्वारा किया जावेगा। पदाधिकारियों के अतिरिक्त अधिक से अधिक पन्द्रह प्रतिनिधि कार्यकारणी सभा के सदस्य निर्वाचित हो सकेंगे। इनके अतिरिक्त सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के अध्यक्ष को अधिकार होगा कि वह अधिक से अधिक तीन ऐसे प्रतिष्ठित कायस्थ बंधु को कार्यकारणी सभा का सदस्य मनोनीत कर सके जो सभा से सम्बद्ध किसी सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के प्रतिनिधि न हो।

5. प्रतिनिधि सभा के सम्बद्ध संगठन प्रतिवर्ष सभा द्वारा नियत अवधि के अंतर्गत वार्षिक प्रतिवेदन सभा द्वारा निर्धारित पत्र (प्रारुप क्रं.- 2) को भरकर अपनी स्थिति की सूचना सभा कार्यालय को देगी और उसके साथ-साथ प्रतिनिधि शुल्क (जो सदस्यों से प्राप्त सदस्यता राशि का 10 प्रतिशत होगा) सभा के कोष में जमा करायेगी। जिन सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्थाओं की ओर से सभा का प्रतिनिधि शुल्क सभा के कोष में जमा न किया जायेगा उन सभाओं के प्रतिनिधि सभा के अधिवेशनों में भाग न ले सकेंगें।
6. सम्बंधित किसी शाखा, प्रकल्प की ओर से सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की किसी आज्ञा या व्यवस्था का निरंतर विरोध होने अथवा उक्त शकाः, प्रकल्प में ऐसी अवस्था हो जाने या सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की सम्मति में समाज के लिए हानिकारक हो तब सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के अध्यक्ष को अपनी कार्यकारणी सभा की अनुमति से अधिकार होगा कि उक्त संगठन को नियत समय के लिए स्थगित कर एक तदर्थ समिति का निर्माण कर देवें। जो सामान्य स्थिति होने तक सभा का प्रबंध एवं कार्य संचालन कर सके साथ ही अध्यक्ष द्वारा नियुक्त जांच समिति द्वारा उक्त सभा के प्रबंध, तथा विवादां की जाचं करा कर अपना निर्णय देगी। जिसका पालन संबंधित सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था को करना पड़ेगा

7. अधिवेशन : सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के अधिवेशन दो प्रकार के होंगे। एक त्रैमासिक अधिवेशन तथा दूसरा साधारण वार्षिक अधिवेशन।
8. त्रैमासिक अधिवेशन : सामान्यता कार्यप्रबंध के लिए कार्यकारणी सभा नियत की जायेगी जिसके अधिवेशन त्रैमासिक हुआ करेंगे और इसमें तीन प्रकार के कार्यकारणी सदस्य होगें एक अधिकारी, दूसरे प्रतिष्ठित और तीसरे प्रतिनिधि, परंतु प्रथम अधिवेशन कार्यकारणी सभा के गठन के तुरंत बाद और साधारण वार्षिक अधिवेशन की समाप्ति से पूर्व उसी स्थान पर आगामी वर्ष हेतु सभा की आय व्यय अनुमानिक लेखा प्रस्तुत करने एवं अन्य अत्यावश्यक निर्णय लेने हेतु होगा। और जो कोई समाज संबन्धित मुख्य जानकारी जो सभा के जानने योग्य हो वह भी इस अधिवेशन में बताई जायेगी।

9. सधारण वार्षिक अधिवेशन : साधारण वार्षिक अधिवेषन प्रतिवर्ष उस समय तथा उस स्थान पर हुआ करेगा जिसे कार्यकारणी सभा पूर्व विज्ञापन देकर निश्चित करेगी और उसमें निम्नलिखित विषय विचारार्थ एवं निर्णयार्थ प्रस्तुत किये जावेंगे।
(1) सभा का वार्षिक वृतांत, सभा की आय व्यय का परीक्षित विवरण हेतु।
(2) आगामी वर्ष हेतु सभा की आय व्यय का अनुमानिक लेखा स्वीकृत हेतु।
(3) सम्बद्ध सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्थाओं द्वारा प्रेषित प्रस्तावों एवं अन्य विज्ञप्ति विषयों पर विचार एवं निर्णय करने हेतु।
(4) सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की कार्यकारणी सभा व कार्यकारणी सभा के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनने हेतु।
(5) किसी ऐसे विषय पर विचार करने हेतु जो अध्यक्ष की अनुमति से तत्काल प्रस्तुत किया जाना हो। टिप्पणीः- यदि साधारण वार्षिक अधिवेशन के समय सभा के किसी नियमों के परिवर्तन, परिवर्धन अथवा संशोधन करना आवश्यक हो तो इस शर्त पर किया जा सकेगा कि उक्त प्रकरण प्रस्तुत करते समय सभा में प्रतिनिधियों की उपस्थिति 75 प्रतिशत से न्यून न हो।
10. प्रतिनिधि सभाओं से बढ़ी देश की एक मात्र मुख्यतम् सभा होगी। जिसका नाम सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभा होगा और वह कायस्थ समाज का पूर्ण प्रतिनिधित्व करेगी। जिसके निर्णय सर्वमान्य होगें।

सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभा का निर्माण
1. सभा का नाम : समस्त देश के लिए एक मुख्यतम सभा होगी और इस सभा का नाम सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभा होगा। देश की समस्त कायस्थ संस्थाओं को संगठित करना इस सभा का मुख्य कर्तव्य होगा। और इसका निर्माण (गठन) स्थानीय सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के सदस्यों द्वारा चुने गये प्रतिनिधि जिनके द्वारा प्रथमता प्रांतीय सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभाओं का निर्माण (गठन) किया गया हो। और फिर उन प्रांतीय सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभाओं के त्रैवार्षिक निर्वाचन में बहुमत से सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभा के लिए प्रतिनिधि निर्वाचित किया गया हो। ऐसे समस्त निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभा का निर्माण (गठन) किया जायेगा। यह सभा सम्पूर्ण कायस्थ समाज का प्रतिनिधित्व करेगी।
2. सभा कार्य क्षैत्र : भारत के समस्त प्रांतों में स्थित समस्त शकाः, प्रकल्प इस सभा में प्रविष्ट तथा इससे सम्बद्ध हुआ करेगी। और जिलों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में सक्रिय समस्त सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था, पंजीकृत समिति व कायस्थ समाज के लिए कार्यरत संस्थाएँ भी इसमें प्रवेश लेकर इस सभा से सम्बद्ध हो सकेगी।
3. सभा निर्माण : सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभा का निर्माण (गठन) प्रांतीय सार्वदेशिक कायस्थ प्रतिनिधि सभाओं के त्रैवार्षिक निर्वाचन में बहुमत से निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा निर्माण (गठन) किया जायेगा और प्रतिनिधि सभा में सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था से निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या न्यूनतम 20 होना आवश्यक होगा। इससे कम सदस्य वाली प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि स्वीकार करने का अधिकार सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की कार्यकारणी सभा की अनुमति से होगा।
(1) प्रतिनिधि सभाएँ अपने प्रतिनिधियों में से 5 प्रतिशत या 15 जो संख्या कम हो प्रतिनिधि सदस्य सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में भेजेगी। (2) सम्बद्ध सभाओं और सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के प्रतिनिधियों का निर्वाचन उनकी त्रैवार्षिक साधारण सभा द्वारा ही होगा। कार्यकारणी सभा या अधिवेषन द्वारा निर्वाचन मान्य न होगा।
(3) प्रतिनिधि सभा अपने से सम्बद्ध सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्थाओं के 8 सक्रीय सदस्यों पर 1 और उसके पश्चात् 20 सक्रीय सदस्यों पर अथवा प्रत्येक 12 सक्रीय सदस्यों की वृद्धि एक अतिरिक्त प्रतिनिधि निर्वाचित करेंगी।
(4) सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में के केवल उन शाखा, प्रकल्प के प्रतिनिधि सदस्यों की गणना पर प्रतिनिधि सदस्य भेजने होगें जिन शाखा, प्रकल्प को सम्बद्ध हुए 1 वर्ष व्यतीत हुआ हो।
4. इस सभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रति तीसरे वर्ष की समाप्ति पर हुआ करेगा। परन्तु तीन वर्ष के कोई पद रिक्त होने पर उसकी पूर्ति उस निर्वाचक सभा या उसकी कार्यकारणी सभा द्वारा होगी। जिसके वे प्रतिनिधि थे और जब तीन वर्ष की अवधि के पहले किसी प्रतिष्ठित सदस्य और अधिकारी का स्थान रिक्त हो तब कार्यकारणी सभा आप ही उसके स्थान पर किसी और योग्य पुरूष को नियत कर सकती है।
(1) यदि किसी सभा या संस्था के प्रतिनिधियों में से कोई प्रतिनिधि 3 वर्ष के मध्य में ही किसी सभा की ओर से प्रान्तीय सभा का सदस्य न रहा हो तो वह सदस्य जो प्रान्तीय सभा का प्रतिनिधि नही है सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था का प्रतिनिधि नही रह सकता। उसके स्थान पर प्रतिनिधि सभा की कार्यकारणी सभा को दूसरा प्रतिनिधि चुन कर भेजने का अधिकार होगा।
(3) प्रतिनिधि सभा या अन्य कायस्थ संस्थाएँ जो सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में अपने प्रतिनिधि भेजने का अधिकार चाहती है वे निवेदन-पत्र (प्रारुप क्रमाँक -3) प्रतिनिधि सभा में भेजेगी। उसके स्वीकार करने का अधिकार सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की कार्यकारणी सभा को होगा।
(4) किसी सम्बद्ध कायस्थ संस्था को पृथक करने का अधिकार कार्यकारणी सभा को होगा और यह नियम प्रारम्भ से ही लागू होगा।
(5) इस सभा से सम्बद्ध किसी भी प्रतिनिधि सभा एवं उस सम्बद्ध कायस्थ संस्था के जो सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था से सीधे सम्बद्ध होगी, उसके निर्वाचन एवं कार्य संचालन में अवैधता और अनियमितता की दशा में सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था अध्यक्ष को अधिकार होगा कि उक्त अवैधताओं और अनियमितताओं की जांच कराए और आवश्यकता पड़ने पर प्रतिनिधि सभा और सम्बद्ध कायस्थ संस्थाओं को अपने अधिकार में लेकर कार्य संचालन हेतु तदर्थ समिति नियुक्त करे, किन्तु यह आवश्यक होगा कि ऐसी प्रतिनिधि सभा व सम्बद्ध कायस्थ संस्थाओं को प्रथम स्पष्टीकरण के लिए उचित समय दिया जायेगा। टिप्पणी-
1.विशेष परिस्थितियों को छोड़कर तदर्थ समिति की आयु एक वर्ष से अधिक न होगी।
टिप्पणी 2.किसी प्रतिनिधि सभा व कायस्थ संस्थाओं को सम्मिलित करने से पूर्व कार्यकारणी सभा द्वारा नियुक्त सदस्य द्वारा जांच कराके रिपोर्ट का कार्यकारणी सभा में आना आवश्यक होगा।
6. सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था अपने नियमादि स्वयं बनायेगी और आवश्यकता अनुसार बनाये उपनियम साधारण सभा में बढ़ाये और घटाये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त किसी व्यक्ति अथवा संस्था को इन उपनियमों को घटाने बढ़ाने अथवा उसमें संशोधन करने का अधिकार नही होगा। सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था के बनाये गये सम्पूर्ण नियम, उपनियम जिसमें न्याय सभा का विधान भी सम्मिलित है। जो इससे सम्बद्ध समस्त शाखा, प्रकल्प पर लागू रहेगें।

विविध नियम - उपनियम
(1) प्रत्येक वर्ष सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था को प्रारुप क्र. 2 के साथ अधीनस्थ संस्थाओं का वार्षिक आय व्यय का चित्र (बैलेंस शीट) भी भेजना होगा, जिसमें समाज की समस्त पदां का आय व्यय का वार्षिक विवरण अंकित किया जा सकेगा।
(2) समस्त निर्णय बहुमतानुसार किये जावेंगे। मतों की समानता की अवस्था में सभापति के निर्णायक मत द्वारा प्रकरण का निर्णय लिया जावेगा।
(3) यदि किसी सभा एवं अधिवेशन की कार्यवाही सक्रीय सदस्यों की 33 प्रतिषत संख्या उपस्थित न होने के कारण पूर्व निर्धारित समय पर आरंभ न की जा सके अथवा प्रारंभ हो चुकने के उपरांत उपयुक्त आवश्यक संख्या उपस्थित न रहने के कारण कार्यवाही में सक्रीय सदस्यों की 25 प्रतिषत संख्या की उपस्थिति पर्याप्त होगी।
(4) ऐसा कोई भी प्रतिनिधि जिस पर सभा का धन शेष हो और जिसने उक्त धनराशि मांगने पर भी सभा को न दी हो। वह सभा एवं अधिवेशन में भाग न ले सकेगा और न वह किसी समिति अथवा उप समिति का सदस्य हो सकेगा।
(5) सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था की कार्यकारणी सभा को अधिकार होगा कि किसी विशेष कार्य के निमित्त अपने प्रतिनिधियों अथवा अन्य प्रतिष्ठित सदस्यों में से उप समिति अथवा प्रकोष्ठ बना दे।
(6) सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था क्षैत्रिय स्तर पर प्रभारी और संयोजक नियुक्त करेगी। जैसे प्रदेश, संभाग, जिला, तहसील, नगर पालिका, ग्राम पंचायत, विधान सभा क्षेत्र, मण्डल, जोन और वार्ड के लिए जो आवश्यकतानुसार यह घटाये और बढ़ाये भी जा सकते हैं। परंतु इस हेतु चयनित सदस्य को सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था द्वारा प्रतिनिधि नियुक्त किया गया हो या जिस सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था का वह सदस्य है उस सभा के अध्यक्ष और मंत्री उसके नाम की लिखित अनुमति दे।
(7) सभा का कोई सक्रीय सदस्य ऐसे विषय पर जिससे उसका स्वयं का सम्बंध हो सम्मति देने का अधिकारी न होगा।
(8) यदि इस सभा के सम्बद्ध कोई शाखा, प्रकल्प अथवा सक्रीय सदस्य कार्यकारणी सभा के किसी निर्णय से असंतुष्ट हो तो उक्त निर्णय की तिथि से तीन माह के अंतर्गत उसके विरुद्ध अपील सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था में उपस्थित किये जाने हेतु सभा मंत्री के पास भेज सकता है।
(9) सभा मंत्री का कर्तव्य होगा कि उपर्युक्त अपील के प्राप्त होने पर पन्द्रह दिवस के अंतर्गत सभा अध्यक्ष का ध्यान उसकी ओर आकर्षित करे और यथाशीघ्र कार्यकारणी सभा का अधिवेशन उक्त अपील विचार करने हेतु बुलावें। (10) कार्यकारणी सभा ऐसी अपीलों को केवल उसी दशा में रोक सकेगी जब अधिवेशन में उपस्थिति सक्रीय सदस्यगण सर्वसम्मति से उसे रोकने का निर्णय करें परंतु उसके रोकने का कारण कार्यकारणी सभा की विवरण पुस्तिका में अंकित किया जावेगा।
(11) जब किसी सभा के लिए सभापति उपस्थित न हो सके तो उसके स्थान पर उस समय के लिए अपने में से किसी सभा सदस्य को वह सभा सभापति निमत्त कर सकेगी।
(12) समस्त सभाओं के पदाधिकारीयों, कार्यकारणी सभाओं के अन्य सदस्यों के कार्यकाल की अवधी त्रिवर्षीय होगी, परन्तु कोई भी व्यक्ति एक ही पद पर लगातार 9 वर्ष से अधिक केवल उसी दशा में निर्वाचित हो सकेगा। यदि उसका निर्वाचन सर्व सम्मत हो।
अविश्वास प्रस्तावः सभा के निर्वाचन अधिकारियों व पदाधिकारियों के विरूद्ध 33 प्रतिषत सदस्यों के अविश्वास पर रखा जावेगा तथा 75 प्रतिषत मत प्रस्ताव के पक्ष में प्राप्त होते हैं तो अविश्वास प्रस्ताव पारित माना जावेगा।
उपर्युक्त निर्वाचित अधिकारीगण एवं कार्यकारणी सभा के अन्य सक्रीय सदस्य गण आगामी निर्वाचन होने तक अपना कार्य करने हेतु सक्षम समझे जावेंगे।
(13) निम्नलिखित अवस्थाओं के अधिकारियों, सक्रीय सदस्यों एवं अन्य सदस्यों के पद रिक्त समझे जावेंगे।
(1) मृत्यु होने पर (2) विक्षिप्त होने पर (3) पद का परित्याग करने पर (4) ऐसा अपराध करने पर, जिसका निर्णय कायस्थ समाज की किसी न्याय सभा अथवा राजकीय न्यायालय द्वारा हो चुका हो और कार्यकारणी सभा के दो तिहाई सदस्यों की सम्मति में उक्त पद अधिकारी, कार्यकारणी सदस्य उसके पद पर आसीन रहने के अयोग्य सिद्ध करता हो। (5) सक्रीय सदस्य न रहने पर (6) इस सभा के नियमों का उल्लंघन करने पर सभा द्वारा सदस्यता के अयोग्य ठहराया जाने पर। (7) निर्वाचक संस्था या सार्वदेषिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था से निर्वाचित न होना अथवा पृथक किया जाने पर। (16) प्रत्येक कार्यकारणी सभा, साधारण सभा एवं अधिवेशन की सूचना मंत्री के हस्ताक्षर युक्त नियत तिथि से कम से कम दो सप्ताह पूर्व प्रत्येक पात्र सदस्यों के पास भेजी जावेगी किन्तु सार्वदेषिक कायस्थ प्रतिनिधि सभा अपनी कार्यकारणी सभा का विषेष अधिवेशन अध्यक्ष की अनुमति से पांच दिन पूर्व सूचना देकर बुलाया जा सकेगा।