ध्येय पथ पर अडिग कैलाश जी सारंग - जयकृष्ण गौड़
' सारंग ' परिवार से मेरा परिचय कैलाश जी सारंग के छोटे भाई गोविंद सारंग के माध्यम से हुआ । गोविंदजी इंदौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे, उन्होंने संघ के मंडल कार्यवाह का दायित्व दिया और उनके ही निर्देशों से विद्यार्थी परिषद में विभाग संगठनमंत्री के नाते कार्य किया । संघ के प्रचारक के नाते उनका घर पर आना - जाना लगा रहता था । आपातकाल में सुदर्शनजी , पं . रामनारायण जी शास्त्री के साथ गोविंदजी को भी गिरफ्तार किया गया । इंदौर जिला जेल में संघ और भाजपा के प्रमुख पदाधिकारी एवं नेता थे गोविंदजी दिनभर के कार्यक्रमों की रचना करते थे ध्वज के साथ नियमित शाखा लगती थी । स्वदेश परिवार के संपादक एवं संचालक मंडल को भी गिरफ्तार कर लिया गया था , उस समय मैं स्वदेश का संवाददाता था , इसलिए मुझे भी मीसा में बंद किया गया । गोविंद जी को निकट से जानने समझने का मुझे जेल में अवसर मिला।
एक बार चर्चा में मैंने पूछा कि ' गोविंद जी आपके परिवार के लोग जेल में मिलने आते है कि नहीं । ' गोविंद जी ने कहा कि मेरे बड़े भाई और भाभीजी का अपार स्नेह मुझ पर है , भाभी जी मिलने आई थी । यह कहने के बाद वे किसी विचार में खो गये । सारंग परिवार उसी ध्येय पथ पर अग्रसर होता रहा जिसके लिए संघ और भाजपा है । एक भाई संघ का प्रचारक और बड़े भाई जनसंघ से लेकर भाजपा की यात्रा में प्रमुख भागीदारी करते रहे । अब इसी परिवार की नई पौध में है , विश्वास सारंग जो विधायक एवं म.प्र . युवा मोर्चा के प्रमुख हैं।
जनसंघ के समय भी मध्यप्रदेश में जिन आधार स्तम्भों के नाम लिये जाते थे , उनमें कैलाश जी सारंग प्रमुख थे । जनसंघ की पहचान इसी कर्मनिष्ठ और ध्येय निष्ठ नेतृत्व के कारण नहीं , बाद में जब भाजपा की यात्रा प्रारंभ हुई तो उसमें भी सारंग परिवार अग्रिम पंक्ति में दिखाई दिया । संगठन के फैलाव एवं ध्येय निष्ठ कार्यकर्ता निर्माण करने में मोक भैया गद्रे , ठाकरे जी , प्यारेलालजी , कैलाशजी जोशी , कैलाशजी सारंग , पटवाजी , नारायण प्रसाद गुप्ता का महत्वपूर्ण योगदान रहा । ऐसे कर्मठ व्यक्ति की जीवन यात्रा का विवरण किसी बड़े ग्रंथ में भी समेटना कठिन है।
राजनीति की रपटीली राहों में बिना फिसले , बिना डिगे अपने ध्येय पथ पर आगे बढ़ते रहना काफी कठिन है । वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में बड़े नेता भी अपने निहित स्वार्थ के लिए डगमगा जाते हैं , अनुशासन की मर्यादा का उल्लंघन करने में भी उन्हें तनिक संकोच नहीं होता । लेकिन कैलाश जी सारंग जैसे नेता आपातकाल के तूफान में भी न केवल अडिग रहे बल्कि कार्यकर्ताओं को भी सिद्धांतों पर डटे रहने की प्रेरणा देते रहे।
कैलाश जी सारंग ने राजनीति के उतार चढ़ाव देखे हैं , संविद सरकार , बाद में जनता पार्टी की सरकार और अब भाजपा की सरकारों के खट्टे मीठे अनुभवों का स्वाद चखा है। राजनीति में विवादों की चर्चा होती है।हर बात को राजनीति से प्रेरित माना जाता है।कैलाश जी सारंग,पटवा जी,सखलेचा जी,प्यारेलाल जी के बारे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा होती रही। इस संदर्भ में कैलाशजी सारंग ने प्यारेलालजी की श्रद्धांजलि सभा में जो कहा , उसका संदर्भ देना उचित होगा । उन्होंने कहा कि भाजपा के संगठन और राजनीति की दो धाराएं थीं । ठाकरेजी की कार्य दिशा सीधी सपाट थी , प्यारेलालजी में राजनैतिक चतुराई थी । सबके सहयोग से ही भाजपा का भव्य स्वरूप बन सका । मध्यप्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की कार्य दिशा में थोड़ा बहुत अंतर दिखाई दे , लेकिन सभी ने राष्ट्रवादी सिद्धांतों पर अटल रहते हुए हमेशा अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केन्द्रित किया।
कैलाश जी सारंग का शासन - प्रशासन में भी सतत् सम्पर्क रहता है । जनसंपर्क एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव का एक दुर्घटना में कंधे की हड्डी में फेक्चर हो गया , जब मैं उनसे मिलने चार इमली स्थित निवास पर गया तो वहां कैलाश जी बैठे हुए थे । उनकी मनोज जी से उसी तरह चर्चा हो रही थी , मानों दोनों एक ही परिवार के हों । कैलाशजी ने चर्चा में कह दिया कि मनोज जैसे आई.ए.एस. अधिकारी बहुत कम हैं । इस प्रकार वरिष्ठ अधिकारियों से भी कैलाश जी का व्यापक सम्पर्क रहता है । उनके जीवन पर जो ग्रंथ प्रकाशित हो रहा है , उसमें भी उनके ध्येय निष्ठ और सिद्धांतों के प्रति समर्पित व्यक्तित्व को पूरी तरह समेटना कठिन है । मैं तो जब भी उनसे मिला , तब उन्होंने बड़े नेह से मुस्कराते हुए चर्चा की।
मूल्यों , सादगी , मितव्ययिता की चर्चा हवाई उड़ानों को लेकर चल रही है । भारतीय संस्कृति में सादगी जीवन मूल्यों का अटूट हिस्सा है , संघ और भाजपा में ऐसे प्रचारक और नेता हैं , जिनका जीवन सादगी और उच्च विचारों के अनुरूप है । मूल्यों एवं सिद्धांतों की राजनीति करने वाले कैलाशजी को नमन करते हुए ईश्वर से यही प्रार्थना है कि उनको स्वस्थ रखे , जिससे वे गतिशील रहते हुए लम्बे समय तक हमारा मार्गदर्शन करते रहें । अटलजी के काव्य अंश के साथ अपने विचार प्रवाह को विराम देना उचित होगा।
उजियारे में , अंधियारे में , कल कछार में बीच धार में
घोर घृणा में , पूत प्यार में , क्षणिक जीत में
दीर्घ हार में जीवन के शाश्वत आकर्षक ,
अरमानों को रचना होगा कदम मिलाकर चलना होगा ...।
( लेखक : - स्वदेश के पूर्वप्रधान संपादक एवं चरैवेति के सम्पादक हैं )