श्री कैलाश नारायण जी सारंग भोपाल की गंगा - जमनी तहज़ीब के एक सुतून हैं । -जावेद यज़दानी
मैं समझता हूँ भोपाल में रहने वाला कोई भी शख्स ये नहीं कहेगा कि मैं उन्हें नहीं जानता , जब मुझसे भी उनके बारे में लिखने को कहा गया तो मैं कैसे इंकार कर सकता था , श्री कैलाश नारायण सारंग कायस्थ समाज के फरज़न्द हैं और इस समाज में उर्दू के बड़े - बड़े जानकार हुए हैं , खुद सारंग साहब बहुत अच्छी उर्दू बोलते हैं और जब बोलते हैं तो मुंह से फूल झड़ते हैं शायद इसीलिये उर्दू वाले भी उन्हें अपना ही समझते हैं । उनका अंदाजे बयां दिलों को छू लेता है । दिल के बड़े साफ़ अपने समाज के बड़े योद्धा गहरी सूझ बूझ वाले सारंगजी अपनी तकरीरों में अफलातून लगते हैं , उनकी फिक्र ( चिंतन ) उनकी पार्टी का अनमोल सरमाया है ।
श्री कैलाश नारायण सारंग हमेशा से ही उर्दू जुबान के दिलदार रहे हैं , उनकी जादूगरी शख्शियतों में उर्दू जुबान का बहुत योगदान है , इसीलिए वह अकसर उर्दू एकेडमी में बुलाये जाते हैं श्री सारंग ज़बरदस्त राजनैतिक और सामाजिक पकड़ रखते हुए बहुत सादा मिजाज़ हैं अपने हर मिलने वाले को खुशआमदीद कहते हैं ।
मुझे हैरत इस बात पर है कि ऐसे असर - रसूख वाले शख्स को पार्टी ने अभी तक भोपाल का सांसद नहीं बनाया ।
श्री सारंग भोपाल के साथ ही आस - पास के क्षेत्रों में अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं अगली बार पार्टी उनको सांसद बनाती है तो यह भोपालियों के साथ इंसाफ होगा उनकी खूबी यह है कि वह सभी वर्गों में मक़बूल हैं , उनकी मक़बूलियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उनका बेटा विश्वास सारंग कारपोरेशन से लेकर असेम्बली तक किसी चुनाव में नहीं हारा । श्री आरिफबेग ने जब उर्दू साप्ताहिक अयाज़ को खैरबाद कहा तो श्री सारंग जी ने बरसों उस अखबार की सरपरस्ती की । उर्दू वाले श्री सारंग की न सिर्फ इज्जत करते हैं । अपना रहनुमा भी मानते हैं एक बार मुझसे उन्होंने उर्दू पत्रिका “कारवाने अदब ” की न सिर्फ तारीफ़ की बल्कि बहुत सराहा भी । उसके मज़ामिन की तारीफ में बहुत कुछ कहा था , वह मुझे अब भी याद है । उर्दू एकेडमी की भी उन्होंने भरपूर मदद की है ।
भोपाल के मुसलिम घरानों में उनके करीबी ताअल्लूकात हैं , हिन्दू मुस्लिम एकता के वह पुरजोर हिमायती हैं ।
दिलकश खट्टोखाल के धनी श्री कैलाश नारायण सारंग अभी भी युवाओं से अधिक फूर्तीले हैं , चुस्त हैं दुरुस्त हैं । खुदा उनको लम्बी उम्र दे |
( लेखक एडिटर दैनिक भोपाल हलचल , उर्दू साहित्य पत्रिका ' कारवाने अदब ' हैं )